शीतकारी प्राणायाम के फायदे, जानें करने का तरीका और सावधानियां

सेहतराग टीम

हमारे जीवन में कई तरह की समस्याएं होती हैं उनसे निपटने के लिए तरह-तरह के उपाय भी होते हैं। आज कल बीमारियां काफी तेजी फैल रही हैं। इसलिए इनसे निपटने के लिए लोग रोजाना योग का सहारा ले रहे हैं। वहीं कई लोग दवाओं का भी सहारा लेकर बीमारियों से बच रहे हैं। वैसे आधुनिक समय में जिस प्रकार बीमारियां बढ़ रही हैं। उसी प्रकार उससे छुटकारा पाने के लिए तरह-तरह के योग भी आ रहे हैं। उन्ही में से एक है शीतकारी प्राणायाम जो सांस लेने के दौरान सि या सित की ध्वनि निकालकर की जाती है।

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शीतकारी प्राणायाम में शीत का मतलब होता है ठंडकपन और कारी का अर्थ उत्पन्न होता है। इस प्राणायाम के अभ्यास से शीतलता भी उत्पन्न होती है इसलिए इसे शीतकारी कहा गया है। इस अभ्यास को सिसकी श्वास या सितकारी भी कहा जाता है। इस प्राणायाम का अभ्यास गर्मी में ज़्यादा से ज़्यदा करनी चाहिए और सर्दी के मौसम में नहीं के बराबर करनी चाहिए।

इस प्राणायम को करना है तो पहले मुंह से श्वास लीजिए, सिसकी की ध्वनि उत्पन्न कीजिए और बिना मुंह खोले नाक से श्वास छोड़िए। इसके अभ्यास से कोई भी व्यक्ति दूसरा कामदेव बन सकता है।

शीतकारी प्राणायाम विधि (Sheetkari Pranayama Steps in Hindi):

इस प्राणायाम को करना बहुत आसान है। इसका अभ्यास आप बहुत सरलता से कर सकते हैं।

  • सबसे पहले आप पद्मासन या किसी भी आरामदायक आसन में बैठें।
  • आंखों को बंद करें।
  • अब अपने हाथों को ज्ञानमुद्रा या अंजलिमुद्रा में घुटनों पर रखें।
  • तालु में जीभ को कसकर सटाएं।
  • दोनों जबड़ों को दातों से भींचकर रखें और होंठ खुले रखें।
  • सि की सिसकी ध्वनि के साथ मुंह से वायु अंदर खींचें।
  • अपने हिसाब से सांस को अंदर रोके रखें।
  • उसके बाद दोनों नासिकाओं से धीरे-धीरे श्वास छोड़े।
  • यह एक चक्र हुआ।

इस तरह से आप शुरुवाती दौड़ में 10 से 15 बार करें और फिर धीरे धीरे इसे प्रतिदिन 15 से 30 मिनट तक करें।

शीतकारी प्राणायाम लाभ (Sheetkari Pranayama Benefit in Hindi):

तनाव कम करने में:

इस प्राणायाम के नियमित अभ्यास से आप तनाव को बहुत हद तक कम कर सकते हैं।

चिंता को दूर भागने में:

यह प्राणायाम चिंता को कम करने में बहुत अहम रोल निभाता है।

डिप्रेशन के लिए रामबाण है:

अगर आप डिप्रेशन से ग्रसित हैं तो इस प्राणायाम का अभ्यास जरूर करनी चाहिए। यह डिप्रेशन को कम करने में रामबाण का काम करता है।

क्रोध:

यह प्राणायाम गले और क्रोध की बीमारियों के लिए लाभकारी होता है। यह आपके गुस्सा को भी कम करता है।

भूख और प्यास:

भूख और प्यास को नियंत्रित करने में मददगार होता है।

रक्तचाप कम करता है:

इस प्राणायाम से ठंडकपन का अहसास होता है। यह शरीर में शीतलता लाती है और रक्तचाप कम करता है।

पित्त दोष:

पित्त दोष (गर्मी) के असंतुलन से होने वाली बीमारियों में फायदेमंद होता है।

हार्मोन्स के स्राव:

जननांगों में हार्मोन्स के स्राव को नियंत्रित करता है।

वासना:

वासना की मानसिक और भावनात्मक प्रभाव को कम करता है।

शांत रहने में:

चूंकि यह प्राणायाम आपके शरीर को शीतलता प्रदान करती है जिसके कारण यह आपको शांत करने में अहम् भूमिका निभाता है।

स्वास्थ्य के लिए:

यह स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है। इसका नियमित अभ्यास से आप बहुत सारे परेशानियों से बच सकते हैं।

 शीतकारी प्राणायाम सावधानिया (sheetkari Pranayama Precautions in Hindi):

  • सर्दी में इस प्राणायाम को न करें।
  • खांसी या टॉन्सिल से पीड़ित व्यक्तियों को यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
  • कब्ज के पुराने मरीजों को भी ये प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
  • जिनका रक्तचाप कम रहता हो उन्हें इस प्राणायाम को नहीं करनी चाहिए।

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